अधूरी नींद...टूटे ख़्वाब...और कुछ कच्ची-पक्की सी कहानियाँ-( भाग-छह )

Friday, August 07, 2015

                                
अभी वह ऑफिस जाने की तैयारी में लगा ही था कि सहसा बदहवास सी पत्नी कमरे में आई,"जल्दी बाहर निकलिए...। बिलकुल भी अहसास नहीं हो रहा क्या...भूकंप आ रहा । चलिए तुरंत...।" वो उसकी बाँह पकड़ कर लगभग खींचती हुई उसे घर से बाहर ले गई ।
पत्नी को यूँ रुआंसा देख कर जाने क्यों ऐसी मुसीबत की घड़ी में भी उसे हँसी आ गई । बाहर लगभग सारा मोहल्ला इकठ्ठा हो गया था । एक अफरा-तफरी का माहौल था । कई लोग घबराए नज़र आ रहे थे। कुछ छोटे बच्चे तो बिना कुछ समझे ही रोने लगे थे ।
सहसा उसे बाऊजी की याद आई । वो तो चल नहीं सकते खुद से...और इस हड़बड़-तड़बड़ में वह उनको तो बिलकुल ही भूल गया । वो जैसे ही अंदर जाने लगा कि तभी उसके पाँव मानो ज़मीन से चिपक गए। बाऊजी की ज़िन्दगी की अहमियत अब रह ही कितनी गई है । वैसे भी उनका गू-मूत करते करते थक चुका था वो...और उसकी पत्नी भी...। ऐसे में अगर भूकंप में वो खुद ही भगवान को प्यारे हो जाएँ तो उस पर कोई इलज़ाम भी नहीं आएगा ।
अभी कुछ पल ही बीते थे कि सहसा पत्नी की चीख से वो काँप उठा । उनका दुधमुँहा बच्चा अपने पालने में ही रह गया था ।
अंदर की ओर भागते उसके कदम वहीं थम गए । एक हाथ से व्हील चेयर चलाते बाहर आ चुके पिता की गोद में उसका लाल था ।
जाने भूकंप का दूसरा तेज़ झटका था या कुछ और...पर वह गिरते-गिरते बच गया था ।


                                           
                                           
 (चित्र गूगल से साभार)

                                                                                                                         

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4 comments

  1. ईमेल पर प्राप्त कमेंट...श्री हरीश जोशी जी का...ऑस्ट्रेलिया से...


    We both have ENJOYED.…” KAHI - UNKAHI “…..….” Adhuri Niña..…Tute Khwab.….

    Your “ PEN “ is GR8 ! what a deep study you have done on “ FAMILY-RELATIONS “ ! ! hats off to you. Keep it up ! !….…” HEARTY CONGRATULATIONS “.

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  2. एक और कमेंट...ईमेल पर ही...भानु जोशी जी का...
    Priy priyanka,
    Ham aapko pritankaji nahin kahenge kyonki aap hamari beti nahi poti jitni ho. ( according to harishbhai u r very young in age) , but I must agree, after reading your above article. Or story that u r to be called ' Priyankaji'
    Realy I m very much touched by this story.
    The success of your writing is when readers relate it with ones life. Aapne kitna kuchh zindgi ko samja hai aur aagebhi dekhoge air samjoge air likhoge.
    ATI shubhkamnao aur ashirwad ke saath
    Aapki prashansak
    Manu( bhanu Joshi)

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, काकोरी काण्ड की ९० वीं वर्षगांठ - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. मर्मस्पर्शी कहानी !

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