माँ के लिए- कुछ हाइकु-

Sunday, May 08, 2011

आज अंग्रेजी हिसाब से माँ के लिए एक दिन निर्धारित किया गया है, जब दुनिया भर की संताने अपनी माताओ के त्याग के लिए उनको  आभार देती हैं...| देती तो मैं भी हूँ, पर मुझे लगता है कि माँ के लिए सिर्फ एक दिन, शायद बहुत-बहुत ही कम है...| जन्म देने की पीड़ा से लेकर न जाने कितने-कितने पड़ावों पर वह अपना सुख हमारे लिए त्यागती है, न जाने कितनी बार अपने आंसुओ को मुस्कान के परदे में छुपा लेती है, सारे कष्ट खुद सहती है, पर बहुत बार पता ही नहीं चलने देती कि उसे कोई तकलीफ है भी...| 
दुनिया की हर माँ को मेरा प्रणाम...और  उस  संतान  को भी, जो  माँ के त्याग को पूरे  जीवन  याद  रखते है, सिर्फ एक दिन के लिए नहीं...|

माँ के लिए कुछ हाइकु...

१)  चाँद-खिलौना
     दिलवाने का वादा
     करती है माँ |

२)  अकेलापन
     जब खाने दौड़ता
     याद आती माँ ।

३)  करुणा भरी
     आँखें जब भी देखी
     याद आई माँ ।

४)   मां की ममता 
   तब समझ पाई
   जब माँ बनी ।
                     



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23 comments

  1. प्रियंका जी, आपने बहुत सही कहा। माँ को याद करने के लिए वर्ष में सिर्फ़ एक दिन काफ़ी नहीं है। उसे तो रोज़ उठते-सोते स्मरण करें तो भी कम हैं…"माँ" आपके ये हाइकु बहुत सुन्दर हैं…

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  2. aapne ma pr kya hiku likhe hain kamal ma ko naman jitna bhi likha kaha jaye kam hai ma ka to har din hona chahiye aapne sahi kaha hai
    rachana

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  3. PRIYANKA JI
    me bhi is sansar ki sari MAA ko pranam karta hoon,is sansar me yeh hi ek aisa rista hai jo ki selflessly hai aur aapne jo MAA ki vedna ko apni lekh me likha hai who bahut hi tareef ke kawil hai.Hamko aisa lagta hai ki apke man me daya kuruna aur samman sabhi ke liye hai,aur apne mere bheje hue mail ki phota pest ki hai iske liye aapko bahut bahut dhanyabad.....

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  4. प्रियंका जी, आपने बहुत सही कहा बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।

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  5. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण .....

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  6. बहुत सुंदर पोस्ट बधाई |

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  7. करुणा भरी आँखें जब भी देखी याद आई माँ । बहुत सुन्दर और भावपूर्ण

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  8. हर एक हाइकु में बहुत ही गहरे भाव छुपे हुए हैं ...
    माँ एक ऐसी दवा है जिस का नाम लेने से ही सब दर्द भाग जाते हैं ....
    कहा माँ हाए
    उस रोग की दवा
    यूँ मिल जाए !

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  9. सभी अच्छे हाइकु.

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  10. मुनव्वर राना की दो लाइनें याद आ रही हैं..

    मां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
    जब वो बहुत गुस्से में होती है,तो रो देती है।

    बहुत सुंदर रचना है आपकी

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  11. माँ पर बेहद सुन्दर हाइकू !
    पढ़ कर माँ की याद आ गयी !
    सच ही कहा है,इस दुनियाँ में माँ का कोई विकल्प नहीं !

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  12. मां विषयक हाइकुओं की सहज ग्राह्यता और मार्मिकता श्लाघ्य है ।

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  13. मां से संबंधित चारों हाइकुओं के लिए आभार ! बहुत सुंदर और भाव भरे हैं …



    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  14. माँ को समर्पित आपकी ये रचनाएं शब्द-शब्द संवेदना से भरी एवं मन को छू लेने वाली हैं...

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  15. praiyanka ji aapki sabhi hyku bahut sundr hai ....

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  16. हाइकु सुन्दर और भावपूर्ण

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  17. आपकी पंक्तियों ने भावुक कर दिया.सहज पर प्रभावी रचना.
    हमज़बान की नयी पोस्ट आतंक के विरुद्ध जिहाद http://hamzabaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.htmlज़रूर पढ़ें और इस मुहीम में शामिल हों.

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  18. बहुत ही सुन्दर शब्द सामर्थ्य बधाई |

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  19. माँ पर कुछ भि कहा जाए , कम है .. आपने बहुत अच्छा लिखा है ..
    बधाई

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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