एक अधूरी कहानी- 15

Thursday, October 07, 2021

 (कल से जारी...)

भाग- पंद्रह



 "तुमने कभी आँधी में किसी मैदान के बीचोबीच खड़े होकर एक तेज़ साँस लेने की कोशिश की है?"

"पागल हो क्या...? फेफड़ों तक में धूल घुस जाएगी अगर ऐसे करने की कोशिश भी की तो...।"

"और अगर कभी प्यार में धूल भर जाए तो...?" मेरे चेहरे से नज़र हटा कर उसने दूर, जाने किस अनजाने स्पॉट पर अपनी निगाहें फिक्स कर दी, " तुम कभी न रुकना किसी ऐसी जगह... बस चले जाना दूर...।" उसने मेरी हथेलियों को अपनी उँगलियों से सहलाना शुरू कर दिया था, "लोग कैसे जी लेते हैं ऐसे धूल भरे प्यार के साथ...? मैं तो मर ही जाऊँ घुट के...।" जाने क्यों उसकी आँखें डबडबा गई थी ।

ऐसे में मैं हमेशा सोख्ता बनना चाहता था, पर जाने कब उसकी आँख का गीलापन मेरे पूरे वजूद को भिगो जाता था...।

-प्रियंका

(जारी है...कल)

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