एक अधूरी कहानी-14

Wednesday, October 06, 2021

 (कल से जारी...)

भाग- चौदह 



उसकी खनखनाती हँसी अपनी जेबों में भर कर जब उसकी झोली में झाँका तो वहाँ बस चंद कतरे आँसुओं के ही बचे थे उसके पास...और मेरी जेबें भर चुकी थी...|

मैं चाह कर भी उसे उसकी हँसी नहीं लौटा सकता था...|

“मैं दी हुई चीज़ वापस नहीं लेती...” एक बार यही तो कहा था न उसने...|

मैं उससे उन आँसुओं को भी मोल लेना चाहता था, पर बड़ी सफाई से उन्हें समेट उसने इनकार में सिर हिला दिया, “मैं अपनी चीज़ किसी को जल्दी देती भी नहीं...|”

-प्रियंका 
(जारी है...कल)

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