अहसास

Sunday, February 25, 2024

                        अहसास 

                                         प्रियंका गुप्ता 

 


पिंकी आज सुबह से उत्साहित थी। मौसी के यहाँ जो जाना था। आज मौसी की बेटी बबली, यानि कि उसकी मौसेरी बहन का जन्मदिन था। मौसा जी ने बहुत बड़ी पार्टी दे रखी थी।  माँ बता रही थी कि बबली ने अपनी पूरी कक्षा के बच्चों को बुलाया है। पिंकी भी उन सभी बच्चों को जानती थी, क्योंकि पिछले साल तक वह भी तो बबली के साथ उसी स्कूल में थी।  परन्तु इस साल पापा का ट्रान्सफर हो जाने के कारण उन लोग को दूसरी जगह जाना पड़ा और इस तरह पिंकी को भी स्कूल छोड़ना पड़ा। 

पिंकी ने शाम की पार्टी में पहनने के लिए अपनी सबसे अच्छी पोशाक निकाली थी। पापा आज दोपहर की छुट्टी लेकर घर आने वाले थे, फिर गाड़ी से सब लोग मौसी के यहाँ जाएँगे।  लखनऊ से कानपुर पहुँचने में मात्र डेढ़ से दो घंटे का समय लगेगा। पार्टी के बाद रात को ही सबको वापस भी आना था। 

नियत समय पर सब लोग मौसी के यहाँ पहुँच गए। पिंकी निकली तो थी यह सोचकर कि आज उसकी ड्रेस वहाँ सबसे सुन्दर होगी, पर अन्दर जाते ही बबली की फ्रॉक देखकर तो उसका मन बुझ गया। नीले रंग की फ्रिल वाली खूब घेरदार फ्रॉक में तो बबली बिलकुल परी लग रही थी। ऊपर से यह शानदार पार्टी...। उसके जन्मदिन पर तो कभी इतनी बड़ी पार्टी नहीं दी गई। अचानक उसे बबली से बहुत ईर्ष्या महसूस हुई और वो मुँह बनाकर एक कोने में खड़ी हो गई। 

“जाओ पिंकी, बबली को अपने हाथों से उसका तोहफ़ा देकर शुभकामनाएँ तो दे दो।” माँ ने कहा तो पिंकी तुनक गई, “मुझे नहीं देना कोई तोहफ़ा। इतनी भीड़ में तो मेरा दम फूल रहा।”

पिंकी की रुखाई देखकर मम्मी को बुरा तो बहुत लगा, पर इतने लोगों की मौजूदगी में उन्होंने पिंकी को कुछ कहना उचित नहीं समझा और खुद ही बबली और मौसी के तरफ चली गई।  पिंकी ने मौसी-मौसा या वहाँ उपस्थित किसी बड़े को नमस्ते करना भी ज़रूरी नहीं समझा। 

मौसी को आया देखकर बबली का चेहरा खिल उठा। वह लगभग दौड़ते हुए आकर उनसे लिपट गई, “नमस्ते मौसी, पिंकी और मौसा जी भी आए हैं न? कहाँ हैं वे?” बबली की आवाज़ में ख़ुशी झलक रही थी। 

तभी गाड़ी खड़ी करके पिंकी के पापा भी अन्दर आ चुके थे। 

“नमस्ते मौसाजी, बहुत अच्छा लगा कि आप भी मेरे जन्मदिन पर आए हैं।” बबली ने दोनों हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हुए कहा तो पिंकी के पापा ने भी बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसे जन्मदिन की शुभकामनाएँ दी। 

बबली अब पिंकी की तरफ लपकी, “अरे वाह पिंकी, यहाँ अकेले क्या कर रही? आओ चलो, हम लोग अपनी सहेलियों के साथ खेलते हैं। थोड़ी देर में मैं केक भी काटूँगी।” 

“मुझे नहीं खेलना इतनी भीड़-भाड़ में,” पिंकी ने बुरा-सा मुँह बनाते हुए बबली का हाथ झटक दिया, “चलो जाओ यहाँ से।”

पिंकी के ऐसे बदतमीज़ी भरे जवाब से आसपास मौजूद कई मेहमानों का ध्यान उसकी ओर चला गया। सबके चेहरे से लग रहा था कि उसका ऐसा व्यवहार किसी को नहीं पसंद आया।  बबली भी अपमानित महसूसकर बिना कुछ कहे वापस अपनी सहेलियों के पास चली गई। 

पिंकी के मम्मी-पापा ने भी दूर से सारा दृश्य देखा तो, पर इतने मेहमानों के बीच पिंकी को कुछ कहकर वे पार्टी का माहौल नहीं बिगाड़ना चाहते थे,  इसलिए चुपचाप उसे अनदेखा करके पार्टी के अन्य मेहमानों से हँसने-बोलने में व्यस्त हो गए। 

थोड़ी देर में केक कटा, तरह-तरह के मनोरंजक खेल हुए, बबली और उसकी सहेलियों ने अपने पसंदीदा गानों पर खूब नृत्य भी किया। इतनी सारी हँसी-खुशी के बीच भी पिंकी उसी कोने में बैठी रही। उसके आज के व्यवहार के कारण किसी ने दुबारा उसकी तरफ न तो ध्यान दिया, न ही कोई उसे फिर से बुलाने आया। 

पार्टी के बाद लौटते समय पिंकी के अन्दर का दबा गुस्सा और ईर्ष्या बाहर आ गई, “मैं अब कभी बबली के यहाँ नहीं आऊँगी। सब कोई अपने में मस्त था, किसी को मेरी ज़रा भी परवाह नहीं हुई कि मैं अकेली हूँ।”

“अपनी करनी का दोष किसी और के ऊपर मत डालो पिंकी,” अचानक पापा की तेज़ आवाज़ से पिंकी सहम गई।  

“आज तुम्हारे साथ जो हुआ, उसकी ज़िम्मेदार तुम खुद हो। पहले अपने अन्दर झाँककर देखो कि तुमने आज कितना रूखा और बदतमीज़ी भरा व्यवहार किया। जब तुम किसी से अपने लिए आदर-सम्मान और प्रेमपूर्ण व्यवहार की उम्मीद करती हो, तो सबसे पहले तुम्हारा व्यवहार शिष्ट होना चाहिए। बड़ों को आदर दोगी तो उनसे प्यार पाओगी। बराबर वालो से मृदु और मधुर बर्ताव करोगी, तो उनसे प्रेम मिलेगा। छोटों से स्नेह जताओगी तो उनसे सम्मान मिलेगा। आज तुम अपने व्यवहार के बारे में खुद सोचो और तब बताओ, क्या तुमने किसी के साथ ऐसा कुछ भी किया?”

पिंकी ने नज़रें झुका ली। सचमुच, ईर्ष्या में आकर आज उसने किसी के साथ भी अच्छा सलूक नहीं किया। इस ईर्ष्या से उसका ही तो नुकसान हुआ। न तो वह वहाँ किसी बात का आनंद ले पाई, न किसी ने उसे पसंद किया। 

“मुझे माफ़ कर दीजिए मम्मी-पापा। मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो गया। मैं बबली और मौसा-मौसी जी से भी माफ़ी माँग लूँगी। आइन्दा फिर कभी किसी को मुझसे इस तरह की कोई शिकायत नहीं होगी, मेरा वादा है आपसे।”

पिंकी की आँखों से बहते आँसू उसकी सच्चाई की गवाही दे रहे थे। 

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(चित्र ai की मदद से बनाया गया है।)

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