एक अधूरी कहानी-10

Saturday, October 02, 2021

 (कल से जारी...)

भाग- दस



 मुझे वह बेहद खूबसूरत लगती थी, पर जाने क्यों उसे अपना चेहरा पसंद नहीं आता था कभी...।

मेरी आँखों को शीशा बना वो अक्सर उनमें झांका करती...।

"ये नाक देखो..." वो अपनी पहली उंगली से अपनी नाक दबा कर उसे चिपटा देती, " कित्ती मोटी नाक है मेरी...और ये आँखे..." अपनी आँखों को वो मानो कान तक खींच ले जाती, " ये आँखें हैं या बटन...और मेरे चीक बोन्स देख के तो कोई पागल भी मुझे सुंदर न बोले...तुमको कहाँ से सुंदरता दिख रही...?"

उसका आइना बनी मेरी आँखें उसकी आँखों की शरारती चमक बखूबी पहचानती थी। फिर मेरे जवाब का इंतज़ार किए बग़ैर वह खुद ही नज़रें झुका कर मेरी हथेली की उँगलियों से खेलने लगती, " ये सब तुम मुझे खुश करने के लिए बोलते हो न...?"

-प्रियंका 
(जारी है...कल)

You Might Also Like

0 comments