एक अधूरी कहानी- 9

Friday, October 01, 2021

 (कल से जारी...)

भाग- नौ



जाने क्या था उसमे, जितना मैंने उसे बदला था, उससे ज़्यादा उसके असर में मेरा पूरा वजूद आ चुका था...| पहले बड़ी सी बड़ी खुशियाँ बस यूँ ही हवा में उड़ा देने वाले इंसान ने अब छोटी छोटी खुशियाँ भी बटोरनी शुरू कर दी थी...| उसके साथ बीता हर एक लम्हा मैंने संदूकची में सम्हाल कर रखना सीख लिया था...| कुछ देर अकेला बैठा नहीं कि झट से संदूकची बाहर खींच लेता और फिर बड़े इत्मीनान से हर लम्हे को उठा उठा कर देखना शुरू कर देता...| कभी कोई शरारती लम्हा मेरी नज़र बचा के...बिलकुल चुपके से बाहर छिटकता और जाकर मेरी जेब में छुप जाता...ठीक वहीं, जहाँ मेरा दिल होता...|

वो शरारती लम्हा भी न...! बिलकुल एक शैतान बच्चे की तरह मेरे साथ लुका-छिपी खेलता...| पता तो मुझे चल ही जाता था चुटकियों में...पर मैं भी बड़ी गंभीरता से एकदम अनजान बना उससे ‘आई-स्पाई’ खेलता...| धीरे से उसे ताड़ भी आता और वो जान ही नहीं पाता...जैसे वो कभी नहीं जान पाती थी...|

 -प्रियंका

(जारी है...कल)


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