एक अधूरी कहानी- 6

Tuesday, September 28, 2021

 (कल से जारी...)

भाग- छह



बहुत बोलती थी वो...| जब बोलना शुरू करती तो लगता मानो किसी ने नल की धार खुली छोड़ दी हो और उसे बंद करना भूल गया हो...| नल की धार से तो फिर भी कभी-न-कभी बाल्टी भर जाया करती है, पर उसकी बातों से मेरा दिल कभी नहीं भरता था | उसकी बातों में उसकी एक अलग ही दुनिया बसती थी, जिसकी खुशबू भी ऐसी जिसे कभी सूँघा न हो...| मैं ओक में भर-भर कर उसकी बातें पीता रहता, पर प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी...|

“तुमको फिर बोर कर दिया न मैंने...? “ वो सहसा नल बंद कर देती | मैं लाख `न’ कहता, पर वह तो बिलकुल निष्ठुर हो जाती,” न...अब तुम्हारी बारी...| तुम सुनाओ...|” मैं उसे पुचकारता, उसकी चिरौरी करता...पर उसे न तो मानना होता, न वो मानती...| नज़रें नीचे झुकाए, सामने कहीं भी किसी अदृश्य से दाग़ को नाखून से खुरचते हुए वह बस इतना ही कहती...अब तुम्हारी बारी...|

-प्रियंका

(जारी है...कल)


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