एक अधूरी कहानी-5
Monday, September 27, 2021(कल से जारी...)
भाग-पाँच
उसका आसमान मेरे आसमान से अलग था | कई मामलों में एक-सा होने के बावजूद हमारे आसमान कभी एक नहीं हो पाए | मेरे आसमान में मुझे तारे दीखते थे, उसके आसमान में उसके तारों की शक्लें होती थी...जिनके नाम होते थे | वो घण्टों उनसे बतियाती रहती...| किसी बच्चे की तरह खिलखिलाती आती शाम चमकती-झिलमिलाती रात के रूप में जवान हो जाती...और धीरे-धीरे पूरब से झलकती सफ़ेदी रात को बूढ़ा कर एक बार फिर ख़त्म कर देती, पर उसकी बातें होती कि ख़त्म होने का नाम ही न लेती...|
-प्रियंका
2 comments
बहुत अच्छी
ReplyDeleteशुक्रिया
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