एक अधूरी कहानी- 4

Sunday, September 26, 2021

 (कल से जारी...)

भाग- चार



वो सपने बहुत देखती थी...जागती आँखों के सपने...| बंद आँखों वाले सपनों से उसे थोड़ी चिढ़-सी थी | बंद पलकों के पीछे तैरते सपनों पर किसी का ज़ोर नहीं होता न, यकीनन यही वजह थी कि वह पूरे होशो-हवास में अपनी पसंद के सपने देखती...और फिर उन्हें सूखे गुलाब की तरह अपनी डायरी में सहेज लेती...|

-प्रियंका

(जारी है...कल)

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