एक अधूरी कहानी- 3

Saturday, September 25, 2021

(कल से जारी...) 

भाग- तीन



वह सपने चुनती थी...| जगह-जगह बिखरे हुए सपने...| पहले-पहल उसका ऐसा करना मुझे अजीब लगता था | भला सपने भी कोई चुन कर, जमा कर के रखने वाली चीज़ है...| कितने सपने तो याद भी नहीं रहते न...?

पर उसे सब याद रहता था...| वह रोज़ अपनी झोली लेकर निकलती थी | जाने कहाँ-कहाँ का कबाड़ जमा था उसमें...| कुछ टूटे सपने...टुकड़े-टुकड़े बटोरे गए सपने...इधर-उधर से चुराये गए कुछ खूबसूरत पल...और ढेर सारी बेतरतीब यादें...|

-प्रियंका

(जारी है...कल)


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