एक अधूरी कहानी- 2

Friday, September 24, 2021

(कल से जारी...) 

भाग-दो 



“हर जगह की एक खुशबू होती है...उसी तरह जैसे हरेक इंसान की एक अलग गंध होती है...|” वो जब गंभीर होती तो ऐसी ही उल-जलूल सी बातें किया करती...| मैं उसके सामने तो इन्हें बकवास कह कर मज़ाक उड़ा लेता था, पर कभी-कभी हैरानी होती थी...वो ये सब भी सोच लेती है क्या...?

उस दिन मैंने उसे पकड़ लिया,”आज बता ही दो कि तुम कहना क्या चाहती हो...?”

मुझे पूरी उम्मीद थी कि हर बार की तरह वह इस बार भी मुँह बिचका के मुझे भोंदू साबित करेगी, पर मेरा अंदाज़ा एक बार फिर ग़लत निकला,” जैसे सीसीडी में जाओ, तो वहाँ बसी कॉफ़ी की खुशबू खुद-ब-खुद तुम्हें दीवाना कर देती है...या फिर तुम्हारी फेवरेट परफ्यूम की दुकान...जहाँ से गुज़रते वक़्त तुम कभी भी दो मिनट उसके आगे रुकना नहीं भूलते...| तुम कहीं भी ऐसी खुशबू पाओगे, तुम्हारी यादें बस वहीं दौड़ी चली आएँगी...| क्यों, होता है न ऐसा...? यही होती है जगह की खुशबू...|”

‘हाँ, जैसे तुम्हारी खुशबू...लाखों की भीड़ में से भी अगर मेरे पास से गुज़रोगी तो बिना देखे भी जान लूँगा, तुम ही हो...| ‘ मैं फिर धीरे से बुदबुदाया...|

जाने उसने सुना भी या नहीं...पर मुझे लगा मानो कॉफ़ी में चीनी मिलाता उसका चम्मच पल भर को ठहरा हो...हमारे आसपास के वक़्त की तरह...|


-प्रियंका

(जारी है...कल)

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