अधूरी नींद...टूटे ख़्वाब...और कुछ कच्ची-पक्की सी कहानियाँ (भाग-सात)

Sunday, February 05, 2017



परिदृश्य- एक

शहर में बड़ी चर्चा थी। इलाके के अच्छे, प्रतिष्ठित और तलाक़शुदा बिजनेसमैन की उनके दो किशोरवय बच्चों के साथ हत्या कर दी गई। क़त्ल का इल्ज़ाम उनकी दूसरी पत्नी और उसके पूर्व-प्रेमी पर था, पर वे दोनो ही फ़रार थे। इलाके में रोष था। पुलिस पर दबाव पड़ा और दूसरे दिन ही पत्नी और उसके प्रेमी को गिरफ़्तार कर लिया गया। सब तरफ़ थू-थू...ऐसी बेवफ़ा...बेशर्म औरत...। इंसानियत के नाम पर धब्बा और समाज के लिए एक कलंक...।

कुछ दिन बीतते-बीतते लोग, शहर, मीडिया सब भूल चुके थे...।

परिदृश्य- दो

शहर एक बार फिर रोष में था। पति की दुश्चरित्रता और हर पल की प्रताड़ना से तंग आकर तलाक़ ले चुकी एक युवती की उसके दूसरे पति ने निर्मम हत्या कर दी। घटना की चश्मदीद गवाह, उसके पहले पति की आठ साल की बच्ची, भी मौत के घाट उतार दी गई...। दूसरा पति इस काण्ड के बाद फ़रार हो चुका था।

इलाके में चर्चा थी...। सब तरफ़ थू-थू...। ऐसी बदचलन औरत का यह हश्र तो होना ही था। एक आदमी से दिल नहीं भरा क्या कि एक बच्ची की माँ होते हुए भी दूसरे के इश्क़ में पड़ी...। आवारा औरत खुद तो मरी ही, बच्ची भी मुफ़्त में जान से गई...। सभी की सहानुभूति कैमरे के आगे रो रहे पहले पति के साथ थी...।

कुछ दिन बीतते-बीतते लोग, शहर, मीडिया सब भूल चुके थे और ग़लती करने वाला क़ातिल अभी भी फ़रार था...।

                           
                                       

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