शब्दों के मायने खोती ज़िन्दगी
Friday, January 28, 2011
बचपन में मैने अपनी हिन्दी व्याकरण की पुस्तक में भाषा और शब्द की जो परिभाषा पढ़ी थी , वह मुझे अक्षरशः तो याद नहीं , पर मैने जो समझा था और जो मुझे याद है , उसका भाव कुछ यूँ था कि अपने विचारों और भावनाओं को दूसरे तक स्पष्ट रूप से पहुँचाने के लिए किसी भाषा में सार्थक शब्दों का प्रयोग किया जाता है । हो सकता है इसे कहने का मेरा तरीका आपको वास्तविक परिभाषा से बहुत अलग लगे , पर मुझे लगता है जो मैं कहना चाहती हूँ , वह आप तक स्पष्ट रूप से पहुँच गया होगा...।
बहुत छोटी सी थी तब से सिर्फ़ मैने ही नहीं , बल्कि आप में से भी न जाने कितने लोगों ने अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा, नसीहत पाई होगी ," पहले तोलो , फिर बोलो...। " पर आज की भागमभाग वाली दुनिया में सिर्फ़ ज़िन्दगी और रिश्ते ही नहीं , बल्कि शब्द भी अपने अर्थ खोते जा रहे हैं...। मिसाल के तौर पर , बचपन से न जाने कितनी बार सुना-गुना दोहा तो आप को याद ही होगा,
" ऐसी बानी बोलिए , मन का आपा खोए
औरन को सीतल करे , आपहुँ सीतल होए...।"
यह दोहा अक्सर लोग तब दोहराते थे , जब उनके सामने कोई गुस्से में आकर किसी के लिए अपशब्द प्रयोग करने लगता था और वे उसे शान्त करना चाहते थे । कई बार इसका एक जादुई-सा असर हो भी जाता था और उस व्यक्ति का गुस्सा इतना तो ठण्डा हो ही जाता था , कि वह सही-ग़लत का फ़र्क समझ सके ।
पर वर्तमान समय में अगर आप अपने आस-पास नज़र दौड़ाएँगे तो खुद महसूस करेंगे , आज की युवा पीढ़ी जो बोलती है , उसमें शायद ही उसकी असल भावना बयान होती हो । बाकी भाषाओं ( यहाँ भाषा से मेरा तात्पर्य विदेशी भाषाओं से है ) और उन्हें बोलने वालों का तो मुझे पता नहीं , पर जब हम हिन्दी में कुछ बोलते हैं तो मुझे लगता है , उसमें कुछ ज्यादा ही वजन होता है...। अगर हिन्दी में हम किसी को कहें " मैं तुमसे प्यार करता हूँ..." या फिर " मुझे तुमसे नफ़रत है..." तो आप उसका क्या मतलब निकालेंगे...? साफ़ है , जो कहा है , वही तो मतलब होगा न...। पर ज्यादातर अँग्रेजीदां युवा पीढ़ी को आप ने अक्सर एक-दूसरे से कहते सुना होगा...किसी से खुश हुए तो " I LOVE YOU " , थोड़े से नाराज़ हुए तो " I HATE YOU ", और ज्यादा ही झगड़ा हो गया तो " I WILL KILL YOU " कहने में एक मिनट की देरी भी नहीं लगती । गाली दे कर बात करना किसी समय असभ्य लोगों की निशानी मानी जाती थी , पर अब तो सिर्फ़ आम लड़कों में ही नहीं , वरन बड़े-बड़े खिलाड़ी और उच्च शिक्षित व्यक्ति धड़ल्ले से , खुले आम गाली का प्रयोग करते हैं । अँग्रेजी के कुछ अश्लील सी गालियों को आम बोलचाल की भाषा में शामिल करने में तो अब लड़कियाँ भी पीछे नहीं रही । छोटे-छोटे बच्चों को भी मैने उन शब्दों का प्रयोग करते सुना है , जिन्हें मैं भी बाद में ही जान सकी ।
अभी हाल ही में मैने एक करीबी परिचित के ग्यारह-बारह साल के बेटे को अपने फ़ेसबुक एकाउंट पर एक ऐसी community को ज्वाइन करते देखा , जो उस शब्द को लेकर थी जिसका प्रयोग करना मैं भी सभ्यता के दायरे से बाहर समझती हूँ । मुझे लगा , बच्चा है , अनजाने ही एक ग़लत community से जुड़ रहा है । सो मैने बड़े प्यार से उसे उससे unjoin होने के लिए समझाया , यह कह कर कि वह community एक गन्दे शब्द को लेकर बनी है , और अगर कोई उसे उससे जुड़ा देखेगा , तो उसे अच्छा बच्चा नहीं समझेगा...। उसने मुझे यह कह कर हतप्रभ कर दिया कि उस community से उसकी क्लास के लगभग सभी बच्चे जुड़े हैं , और रही बात उस शब्द के इस्तेमाल से उसकी reputation पर असर पड़ने की , तो मुझे उसकी चिन्ता करने की आवश्यकता इस लिए नहीं है क्योंकि यह तो उसके क्लास में आपस में बात करने के लिए हर कोई इस्तेमाल करता है...। सहजता से अपनी बात मुझे समझा वह वापस फ़ेसबुक में जुट गया और मैं समझ नहीं पा रही थी कि आज की इस तेज़ रफ़्तार में भागते बच्चों को देख कर हँसू या रोऊँ...।
मैं बस चुपचाप वहाँ से खिसक ली , डर था कहीं ज्यादा प्रवचन ( ?) देने पर वह कह ही न दे , "GO TO HELL…"
बहुत छोटी सी थी तब से सिर्फ़ मैने ही नहीं , बल्कि आप में से भी न जाने कितने लोगों ने अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा, नसीहत पाई होगी ," पहले तोलो , फिर बोलो...। " पर आज की भागमभाग वाली दुनिया में सिर्फ़ ज़िन्दगी और रिश्ते ही नहीं , बल्कि शब्द भी अपने अर्थ खोते जा रहे हैं...। मिसाल के तौर पर , बचपन से न जाने कितनी बार सुना-गुना दोहा तो आप को याद ही होगा,
" ऐसी बानी बोलिए , मन का आपा खोए
औरन को सीतल करे , आपहुँ सीतल होए...।"
यह दोहा अक्सर लोग तब दोहराते थे , जब उनके सामने कोई गुस्से में आकर किसी के लिए अपशब्द प्रयोग करने लगता था और वे उसे शान्त करना चाहते थे । कई बार इसका एक जादुई-सा असर हो भी जाता था और उस व्यक्ति का गुस्सा इतना तो ठण्डा हो ही जाता था , कि वह सही-ग़लत का फ़र्क समझ सके ।
पर वर्तमान समय में अगर आप अपने आस-पास नज़र दौड़ाएँगे तो खुद महसूस करेंगे , आज की युवा पीढ़ी जो बोलती है , उसमें शायद ही उसकी असल भावना बयान होती हो । बाकी भाषाओं ( यहाँ भाषा से मेरा तात्पर्य विदेशी भाषाओं से है ) और उन्हें बोलने वालों का तो मुझे पता नहीं , पर जब हम हिन्दी में कुछ बोलते हैं तो मुझे लगता है , उसमें कुछ ज्यादा ही वजन होता है...। अगर हिन्दी में हम किसी को कहें " मैं तुमसे प्यार करता हूँ..." या फिर " मुझे तुमसे नफ़रत है..." तो आप उसका क्या मतलब निकालेंगे...? साफ़ है , जो कहा है , वही तो मतलब होगा न...। पर ज्यादातर अँग्रेजीदां युवा पीढ़ी को आप ने अक्सर एक-दूसरे से कहते सुना होगा...किसी से खुश हुए तो " I LOVE YOU " , थोड़े से नाराज़ हुए तो " I HATE YOU ", और ज्यादा ही झगड़ा हो गया तो " I WILL KILL YOU " कहने में एक मिनट की देरी भी नहीं लगती । गाली दे कर बात करना किसी समय असभ्य लोगों की निशानी मानी जाती थी , पर अब तो सिर्फ़ आम लड़कों में ही नहीं , वरन बड़े-बड़े खिलाड़ी और उच्च शिक्षित व्यक्ति धड़ल्ले से , खुले आम गाली का प्रयोग करते हैं । अँग्रेजी के कुछ अश्लील सी गालियों को आम बोलचाल की भाषा में शामिल करने में तो अब लड़कियाँ भी पीछे नहीं रही । छोटे-छोटे बच्चों को भी मैने उन शब्दों का प्रयोग करते सुना है , जिन्हें मैं भी बाद में ही जान सकी ।
अभी हाल ही में मैने एक करीबी परिचित के ग्यारह-बारह साल के बेटे को अपने फ़ेसबुक एकाउंट पर एक ऐसी community को ज्वाइन करते देखा , जो उस शब्द को लेकर थी जिसका प्रयोग करना मैं भी सभ्यता के दायरे से बाहर समझती हूँ । मुझे लगा , बच्चा है , अनजाने ही एक ग़लत community से जुड़ रहा है । सो मैने बड़े प्यार से उसे उससे unjoin होने के लिए समझाया , यह कह कर कि वह community एक गन्दे शब्द को लेकर बनी है , और अगर कोई उसे उससे जुड़ा देखेगा , तो उसे अच्छा बच्चा नहीं समझेगा...। उसने मुझे यह कह कर हतप्रभ कर दिया कि उस community से उसकी क्लास के लगभग सभी बच्चे जुड़े हैं , और रही बात उस शब्द के इस्तेमाल से उसकी reputation पर असर पड़ने की , तो मुझे उसकी चिन्ता करने की आवश्यकता इस लिए नहीं है क्योंकि यह तो उसके क्लास में आपस में बात करने के लिए हर कोई इस्तेमाल करता है...। सहजता से अपनी बात मुझे समझा वह वापस फ़ेसबुक में जुट गया और मैं समझ नहीं पा रही थी कि आज की इस तेज़ रफ़्तार में भागते बच्चों को देख कर हँसू या रोऊँ...।
मैं बस चुपचाप वहाँ से खिसक ली , डर था कहीं ज्यादा प्रवचन ( ?) देने पर वह कह ही न दे , "GO TO HELL…"
7 comments
यह आज की वास्तविकता है...बहुत विचारणीय प्रस्तुति
ReplyDeleteआज शब्द अपनी गरिमा खोते जा रहे हैं । इसका सीधा -सा कारण है अपनी जड़ों से कट जाना हम आयातित संस्कृति के शिकार हैं या अपनी कूप मण्डूकता के । बच्चों के लिए हम सब साधन जुटाते हैं पर समय नहीं । आपने चिन्ताजनक समस्या की ओर ध्यान दिलाया है । बेहतर होगा की सुप्तावस्था वाले अभिभावक जाग जाएँ ।बहुत अच्छा लिखा है आपने !
ReplyDeleteसच में शब्दों के मायने बदल गए हैं आज ..आज के दौर में " पहले तोलो , फिर बोलो...। " वाली बात को हम भूल ही गए हैं ...आज कहाँ याद है हमे ...ऐसी वाणी बोलिए वाली वो पंक्तियाँ ....आपने जिन शब्दों का प्रयोग किया है..I LOVE YOU..I HATE YOU यह शब्द तो बस बोलने को रह गए हैं ,,,..हम इनके मतलब को कहाँ समझे हैं आज ..बहुत सार्थक प्रस्तुति आपका शुक्रिया
ReplyDeleteआद.प्रियंका जी,
ReplyDeleteआपने ज्वलंत समस्या की ओर इशारा किया है !
आज की पीढ़ी की गलत परवरिश और खुले वातावरण का दुष्परिणाम हमें हर जगह इसी रूप में देखने को मिल रहा है !
कई माता पिता भी बच्चों को 'advance' बनाकर खुश होते हैं जिसका खामियाज़ा उन्हें बाद में भुगतना पड़ता है !
हम अपनी संस्कृति से लगातार कटते जा रहे हैं ! पश्चिम की आँधी और क्या क्या उड़ा ले जायेगी ,कल्पना भी नहीं कर सकते !
प्रियंका जी, इस विचारोत्तेजक लेख से जागृत पैदा करने की सार्थक कोशिश करने के लिए आपका आभार
एक बेहतरीन पोस्ट। आपने बहुत गंभीर और सार्थक बात की है। इस पर विचार किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteइस विचारोत्तेजक लेख से जागृत पैदा करने की सार्थक कोशिश करने के लिए आपका आभार|
ReplyDeleteआप सब की बेहतरीन टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ...।
ReplyDeleteप्रियंका