एक कतरा बादल का...
Monday, September 20, 2010आज फिर कविता के माध्यम से ही आप सब से रु-ब-रु होने का मन किया...| वैसे भी बारिश का मौसम है , सो...
कविता
एक कतरा बादल का
बादल का
नन्हा -सा कतरा
हवाओं के संग
फ़िज़ाओं का ले रंग
बारिश की महक से
गमकता
सरकता
वर्षा बूंदों को
हथेलियों में समेटे
चिडियों से चहकते मेरे आँगन में
अपने पंख़ों को समेट
उतरा
मेरा छोटा सा घरौंदा
सुगंध से भर गया
लगा
जैसे पूरा आकाश
मेरे आँगन में उतर गया...।
8 comments
मेरा छोटा सा घरौंदा
ReplyDeleteसुगंध से भर गया
लगा जैसे पूरा आकाश
मेरे आँगन में उतर गया...।
बहुत ही सुन्दर भाव....
बारिश के बाद वो मिट्टी की सुगंध......
वाह ! वाह !
मुझे तो अभी आने लगी है....वो सुगंध !!!
बहुत सुन्दर बिम्ब प्रस्तुत किया है , प्रियंका जी 1
ReplyDeleteआप दोनो को ही मेरा उत्साह बढ़ाने का शुक्रिया...।
ReplyDeleteसंधू जी , आपने भी क्या खूब कह दिया...।
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDelete"मेरा छोटा सा घरौंदा
ReplyDeleteसुगंध से भर गया
लगा जैसे पूरा आकाश
मेरे आँगन में उतर गया..."
सजीव चित्रण
beautiful...
ReplyDeletebeautiful
ReplyDeletewah............bahut hi sunder sabdoo ke chain ke sath.......bahut hi sakaraktmak vichar.........positive hona bahut zaruri hai jo aajkal loog nahe rakhte...............mukul nag
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