यादों के झरोखे से- (आठ)
Saturday, September 07, 2024विशेष - मेरी माँ यानि प्रेम गुप्ता 'मानी' से जुड़ी कुछ बातें उनके कुछ अपनों की जुबानी...। इस शृंखला में पिछली कड़ी में आपने पढ़ा उनके भतीजे अंकुर के दिल की बात...। आज प्रस्तुत है उनकी प्यारी भतीजी अंकिता वैश्य उर्फ़ पिंकी की आत्मीय अभिव्यक्ति...।
आगे की कड़ियों में मानी से जुड़े कुछ मन के रिश्तों की भावनाएँ आपके सामने लेकर आऊँगी।
-प्रियंका
हमेशा साथ, बड़ी बुआ की याद
-अंकिता
वैश्य
पिंकी अपनी बड़ी बुआ के साथ |
बाहर देखो बड़ी बुआ आईं हैं क्या…? बस इतना कहते ही थे कि कार का दरवाज़ा बंद होने
की आवाज़ आती… और मेन गेट के दरवाज़े की घंटी बजती थी..!!
बड़ी बुआ यानि बाकी सबकी प्रेम दीदी, से कुछ इस
तरह का प्यार, लगाव...जो भी कहा जाता है, मेरे लिए वो था...है...और हमेशा रहेगा...।
मेरी बड़ी बुआ ने मुझे परियों की कहानियाँ
सुनाकर नहीं, बल्कि उन्होंने एक परी की तरह पाला है। मेरे लिए वो हमेशा मौजूद रहीं, चाहे
कभी स्कूल से लाना हो, दुर्गा पूजा
का मेला देखना हो...या बीमारी के वक़्त मेरे सिर
पर हाथ रखकर मेरे पास बैठे रहना…मानो वो हर वक़्त, हर पल साथ ही रहती…।
कल रात अचानक नींद से आँख खुली तो याद आया कि
बड़ी बुआ का जन्म दिन आ रहा है, तो इस बार कहीं बाहर घूमने चलते हैं...उनके लिए एक अच्छा-सा
गिफ़्ट भी लेना है, लेकिन फिर अगले ही पल एक
झटके से इस बात का अहसास हो गया कि वो तो जा चुकी हैं…शायद बहुत दूर...हमेशा के
लिए…पर उनका “प्रेम” नाम का टैटू आज भी मेरे हाथ पर बना है। शायद इस तरह उनका प्यार और आशीर्वाद
हमेशा मेरे साथ है।
बुआ-भतीजी का रिश्ता दुनिया में सबसे खास होता
है, क्यूँकि इस रिश्ते में एक अलग-ही तरह के सच्चे प्यार का एहसास होता है! मेरी
बड़ी बुआ रिश्तों में हर किसी की जगह ले सकती थीं, हर रूप में मुझे अपने प्यार के साये में रख सकती थीं, पर कोई भी रिश्ता मेरी बड़ी बुआ की जगह नहीं ले सकता! मेरे लिए वो बेहद खास हैं।
इसीलिए बड़ी बुआ, एक बात जान लीजिए...हमारे लिए एक-दूसरे
से कोई अलविदा नहीं है। आप जहाँ भी हों, आप हमेशा मेरे दिल में रहेंगी...।
अब आपके पास बैठ नहीं सकती, न आपके गले लग सकती
हूँ, इसलिए यहीं से आपको मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि...।
बहुत सारा प्यार,
आपकी पिंकी
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