बैडमिंटन

Monday, June 21, 2021

 


                               

“क्या ढूँढ रही हो दीदी?” अपनी बड़ी बहन नेहा को अलमारी में खटर-पटर करते देख निशांत ने पूछा । 

“मेरा बैडमिंटन रैकेट नहीं मिल रहा, तुमने तो नहीं लिया?”

“मैं क्या करूँगा उसका?” निशांत ने कंधे उचकाये और वापस लैपटॉप पर गेम खेलने लगा।

“हाँ, तुम तो बस जाड़ों की पूरी छुट्टियाँ ऐसे ही कमरे में विडियोगेम खेलते या मोबाइल पर दोस्तों से चैटिंग करके बर्बाद कर देना । जब ऐसे बैठे रहने से कई तरह की बीमारियाँ होंगी न, तब मेरी बात याद करना । कितनी बार कहा है कि थोड़ा शारीरिक खेल भी खेलो, स्वस्थ रहने के लिए बहुत ज़रूरी है।”

“क्या खेलूँ और कहाँ खेलूँ? मम्मी बाहर जाने भी तो नहीं देतीं।”

“अरे कहीं बाहर जाने की ज़रुरत ही नहीं। हम-तुम यहीं अपने घर के लॉन में ही बैडमिंटन खेल सकते है। ये तो है ही इंडोर गेम।” नेहा ने उत्साह से कहा लेकिन निशांत नहीं उठा।

“उत्साहित तो ऐसे हो रही जैसे बैडमिंटन के बारे में बहुत जानती ही हो।” निशांत ने मानो चुनौती देते हुए कहा तो नेहा वहीं बैठ गई, “ओह्हो! तो ये बात है। तुमको लगता है मुझे इस खेल के बारे में कुछ पता ही नहीं? अच्छा, अगर मैं इसके बारे में तुमको बताऊँ तो वादा करते हो कि इस छुट्टी में तुम रोज़ मेरे साथ बैडमिंटन खेलने के अलावा व्यायाम भी करोगे और घर के काम में मम्मी का हाथ भी बंटाओगे?”

निशांत को पूरा विश्वास था कि उसकी दीदी को इस खेल के बारे में कुछ ख़ास जानकारी तो होगी नहीं, सो उसने भी पूरे जोश से वादा कर लिया।

“तो सुनो,” नेहा उसके पास ही बैठ गई, “बैडमिंटन की शुरुआत 19वीं सदी के मध्य में भारत में मानी जा सकती है,  क्योंकि यहाँ तैनात ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों ने इस खेल की शुरुआत की। पूना की ब्रिटिश छावनी में यह खेल खासतौर पर लोकप्रिय रहा, इसीलिए इस खेल को ‘पूनाई’ के नाम से भी जाना जाता है। ये खेल शटलकॉक से खेला जाता था, पर  हवा या गीले मौसम में अमीर लोग ऊन के गोले से भी खेलते थे, लेकिन उसमें वो आनंद नहीं था, सो शटलकॉक ने बाज़ी मार ली।“

“अरे, ये ऊन के गोले वाली बात तो कभी सोची ही नहीं थी।” निशांत ने आश्चर्य से कहा तो नेहा हँस पड़ी, “ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हम आमतौर पर नही  जानते । वैसे मैं भी तो देखूँ, तुम कितना जानते हो। ज़रा बताओ तो, जहाँ बैडमिंटन खेलते हैं, उसको क्या कहते हैं?”

“बैडमिंटन कोर्ट,” निशांत ने एकदम से कहा, “सिर्फ नाम ही नहीं, बल्कि मैं ये भी जानता हूँ कि यह कोर्ट आयताकार होता है, जिसके बीच में नेट लगा होता है और खिलाड़ी अपने रैकेट से शटलकॉक को मार के अपने विरोधी पक्ष के कोर्ट में गिराकर प्वाइंट्स प्राप्त करते हैं।”

“बिलकुल सही,” नेहा ने निशांत की पीठ थपथपाई, “इस कोर्ट में या तो दो लोग एक दूसरे के विरुद्ध अकेले-अकेले यानि एकल मैच खेलते हैं, या फिर युगल, मतलब एक टीम की तरह दो-दो लोग । एक मज़ेदार बात और है, इसमें युगल खेलने के लिए ज़रूरी नहीं कि आपकी टीम सिर्फ लड़के या सिर्फ लड़की वाली हो, बल्कि इसमें एक लड़का और एक लड़की मिल कर भी खेल सकते हैं, जिसे मिश्रित युगल कहा जाता है।”

“अरे वाह! इसका मतलब कि मैं और आप दोनों एक ही टीम में हो सकते हैं।” निशांत चहका । 

“हाँ बिलकुल, और जानते हो निशांत, दुनिया की पहली विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिता 1899 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप के नाम से शुरू की गई थी। अब तो कई सारी प्रतियोगिताएँ होती हैं, जैसे थॉमस कप, प्रीमियर मैन्स इवेंट और उबर कप के अलावा महिलाओं के लिए भी कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सन् 1992 से बैडमिंटन को ओलम्पिक में भी शामिल किया गया है।”

“अच्छा दीदी, अपने देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों में मुझे तो बस साइना नेहवाल का नाम मालूम है क्योंकि उनके जीवन पर जो मूवी बनी वो मैंने देख ली है, पर और कौन-कौन से खिलाड़ी हैं जिन्होंने हमारे देश का नाम रौशन किया?”

“मूवी में तो तुमने ये देखा ही होगा कि सायना भारत की पहली महिला बैडमिंटन खिलाडी हैं, जो वर्ल्ड चैंपियन बनी। पर उनके अलावा भी कई ऐसे महिला और पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन पर देश को गर्व है। जैसे कि बरसों पहले 1980 में प्रकाश पादुकोण विश्व के नम्बर एक  बैडमिंटन खिलाड़ी बने । अगर मैं कई सारे और महान खिलाड़ियों का नाम लूँ तो उनमें पुलेला गोपीचंद, पी. वी. सिंधु,  श्रीकांत किदांबी, अपर्णा पोपट, ज्वाला गुट्टा, अश्विनी पोनप्पा, पारुपल्ली कश्यप, नंदू नाटेकर आदि का नाम सर्वश्रेष्ठ भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।”

 “अरे बाप रे दीदी! आपको तो कितनी जानकारी है इस खेल के बारे में। आप तो छा गईं।”

“अगर ऐसी बात है तो करो अपना पहला वादा पूरा। मोबाइल रखो, लैपटॉप ऑफ करो और चलो मेरे साथ, हो जाए एक-एक बैडमिंटन मैच।”

“हो जाए,” निशांत ने चिल्लाते हुए कहा और दोनों लोग हँसते हुए बाहर लॉन की तरफ दौड़ पड़े।


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