अधूरी नींद...टूटे ख्वाब...और कुछ कच्ची-पक्की सी कहानियाँ...(भाग-आठ)
Tuesday, August 15, 2017
वो दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे...| एक लड़का और एक लड़की होने
के बावजूद एक अच्छे दोस्त, सच्चे वाले...| इस दोस्ती में न तो कोई स्वार्थ था, न
लालच और न कोई गन्दगी...| बिलकुल साफ़-सुथरी, पवित्र कही जाने वाली दोस्ती...बस्स...|
एक-दूसरे का साथ उन्हें बहुत भाता था...| वो दोनों हर पल, हर घड़ी, हर स्थिति में एक-दूसरे
का साथ निभाने को तैयार रहते थे | एक-दूजे का सुख और दुःख बराबर से बाँटते...एक की
आँखों में पलने वाला सपना दूसरे की आँखों से जवान होकर बाहर झाँकता...| अतीत के गम
भुला कर दोनों भविष्य के सुनहरे दिनों की कल्पना करते...| उनकी दोस्ती की मिसालें उनके
आसपास की हर चीज देती...| कुर्सी-मेज, पेन-पेंसिल, उनका कंप्यूटर...सभी उनको साथ देख
कर बेहद खुश होते...| पेड़-पौधे, हवा-पानी, सूरज-चाँद और सितारे भी...|
पर ये सब चीज़ें तो बेजान होती हैं न...? उनको भला क्या
मालूम ये दुनिया कैसे चलती है...| सो उनकी खुशी से...उनकी मिसालों से किसी को क्या
लेना देना...? लड़का-लड़की की फ़िक्र तो उनके परिवारवाले, उनके रिश्तेदार और
पड़ोसियों को करनी होती थी न...| सो उनकी दोस्ती देख कर सब बेहद फ़िक्रमंद हो गए...|
सिर से सिर जोड़ कर मीटिंग की गई...| मोटे-मोटे मैग्नीफाइंग ग्लास वाले चश्मे पहन
के दरवाजों और खिड़कियों की दरारों से झाँका गया और अलग-अलग जगह और अलग-अलग समय पर
दोनों पक्ष के लोग बस एक नतीजे पर पहुँचे...लड़का-लड़की और साफ़-सुथरे दोस्त...? हुँह...!
इम्पॉसिबल...!
एक दिन चाँद ने जब लड़की के कमरे की खिड़की से झाँका तो देखा,
उसके चारों तरफ चिंतित और परेशान चेहरों की भीड़ थी...| सब ने उसे समझाया...फरेबी
होते हैं लोग...| पराये होकर भी अपनेपन से लबरेज़ लोग सिर्फ़ किस्से-कहानियों में होते
हैं, उनको वहीं रहने दो...| आँखें खोलो और खाई में कूदने से पहले सम्हल जाओ...|
लड़की ने बेबसी से चाँद की ओर देखा तो उसकी बेबसी की खबर देने चाँद भाग कर लड़के के कमरे की
खिड़की पर जा बैठा...|
लड़के के आसपास भी बेहद संजीदा चेहरे थे | सबकी निगाहों और
ज़ुबान पर एक ही सवाल...हमारे होते वो तुम्हारे लिए परवाह करने वाली वो कौन
होती है...? अगर वो अपनी परवाह दिखा रही तो समझ जाओ, तुम बहुत बड़े जाल में फँस चुके
हो...| समय रहते चेत जाओ, वरना दुनिया में कहीं ठौर नहीं मिलेगा...|
चाँद ने कुछ कहना चाहा, पर लड़के के चेहरे पर छाई बेचारगी
देख सहम गया...|
चाँद को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, कैसे करे...?
उसे भी उन दोनों की तरह ही बेचैनी होने लगी तो घबरा कर वो भागता हुआ अपने घर गया
और बादलों को ओढ़ के झट से सो गया...|
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