शब्द

Sunday, January 24, 2016


कौन कहता है
शब्द बेजान होते हैं ?
दफ़न हों सीने में
तो
घुटती हैं साँसें
बाहर निकल भी अक्सर
वार करते है
और
मार देते हैं
किसी न किसी को
या फिर
जब घुटते रहते हैं भीतर ही
खुद मर जाते हैं
अपनी इच्छाओं/ भावनाओं समेत
उनकी मौत पर कोई नहीं रोता
सिवाय दिल के;
तो चलो, कागज़ पर उकेरें
कुछ आड़ी-तिरछी सी लकीरें
नाम दें उन्हें शब्दों का
उड़ेल दें उनमें थोड़ी प्राण वायु
ताकि फिर कभी
जब वो मरें
तो सनद रहे
कभी वो भी थे ज़िंदा...।

(चित्र सौजन्य-प्रांजल अग्रवाल #Sillyphtographer )

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