घाव अभी भरा नहीं...

Monday, April 11, 2011







  मन ना माने
  तुम्हारा ऐसे जाना
  सपना लगे ।

कल मेरी स्नेह आँटी को गए पूरे एक साल बीत गए । पूरे दिन मैं जानबूझ कर तरह-तरह के कामों में व्यस्त रही, पर दुश्मन मन...बार-बार याद दिला रहा था कि अब मेरे बाकी जीवन में, मेरी विभिन्न खुशियों में, सफ़लताओं में उनके आशीर्वाद की, उनकी उस खुशी-भरी आँखों की, उस मुस्कराहट की कमी रहेगी ही...। अभी भी आदत नहीं पड़ पाई उनके बग़ैर जीने की...। जब भी खुश होती हूँ, उनके साथ उस खुशी को बाँटने की हूक सी उठती है...। पर कहते हैं न, वक़्त सबसे बड़ा वैद्य है...। बस अब उसकी दवा ही धीरे-धीरे घाव भरेगी...पर यादें तो फिर भी रहेगी न...!!!

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4 comments

  1. बहुत मार्मिक । आपका हाइकु तो पूरे दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति बन गया है ।

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  2. इस पोस्ट पे तो बस इतना ही कहूँगा की इनकी अच्छी अच्छी यादें आपने इस ब्लॉग के जरिये हमसे शेयर की है...

    यादें उनकी कहाँ जाने वाली हैं, ये तो आसपास मौजूद रहेगी आपके, हर वक्त हर पल.

    बस और कुछ भी नहीं कहूँगा,.

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  3. कितना दर्दीला हाइकु है !
    कहते हैं ....जाने वाले कभी नहीं आते
    जाने वालों की याद आती है .....
    गए बिटोही
    छोड़ पग निशान
    न जाने कहाँ !
    हरदीप

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  4. बहुत दर्द भरा है आपके हायकू में
    बहुत अच्छा लिखा है
    रचना

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