चोका

Tuesday, October 04, 2016

चोका जापानी कविता की एक शैली  में रची जाने वाली लम्बी कविताएँ हैं। भारत में भी यह विधा बाकी जापानी शैली की विधाओं की तरह धीरे धीरे लोकप्रियता हासिल करती जा रही है | इन समस्त विधाओं को यहाँ प्रतिष्ठित करने में मुख्य योगदान देने वाले श्री रामेश्वर काम्बोज `हिमांशु' जी के अनुसार मूलत: चोका गाए जाते रहे हैं । चोका का वाचन उच्च स्वर में किया जाता रहा है ।यह प्राय: वर्णनात्मक रहा है । इसको एक ही कवि रचता है।

 इसका नियम इस प्रकार है -
5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7 और अन्त में +[एक ताँका जोड़ दीजिए।] या यों समझ लीजिए कि समापन करते समय इस क्रम के अन्त में 7 वर्ण की एक और पंक्ति जोड़ दीजिए । इस अन्त में जोड़े जाने वाले ताँका से पहले कविता की लम्बाई की सीमा नहीं है । इस कविता में मन के पूरे भाव आ सकते हैं ।
  इनका कुल पंक्तियों का योग सदा विषम संख्या [ODD] यानी 25-27-29-31……इत्यादि ही होता है|
 डॉ.सुधा गुप्ता जी ने स्वतन्त्र रूप से 'ओके भर किरनें ' चोका रचनाओं के द्वारा इस शैली के रचनाकर्म की ओर अनेक कवियों को प्रोत्साहित किया ।

                      
तो लीजिए, आज प्रस्तुत है मेरा एक चोका... 

 भुट्टा और ज़िन्दगी


भुट्टे के जैसी
होती है ज़िन्दगी भी
कभी कड़क
तो कभी नर्म, मीठी
वक़्त की आँच
इसे भूना करती
नमक-मिर्च
दुनिया लगा देती
अब यह तो
हम तय करते
खाना है इसे
स्वाद लेकर; या तो
फ़ेंक देना है
दूर किसी कोने में
भुट्टा ज्यों पके
खाने लायक बने
वैसे ही मानो
ज़िन्दगी पकी-भुनी  
हर हाल में
जीने लायक बनी
खुश रहना
हमें सिखला जाती
राह दिखला जाती |  


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9 comments

  1. ज़िन्दगी भुट्टे जैसी ...सटीक उदाहरण दिया है इस चोके में . सुन्दर .

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  2. बहुत ख़ूबसूरत तुलना है... मेरी ज़िंदगी तो आँच पाकर पॉप कॉर्न की तरह गरम तवे पर उछल रही है... यह भी ज़िंदगी का एक रूप! बहुत अच्छी रचना.
    मुझे तो हाइकू ही समझ नहीं आता है उसपर तुमने चोका मार दिया.. सौरी...!!

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  3. wow very nice....

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  4. दिल को छू जाने वाली रचना

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  5. दिल को छू जाने वाली रचना

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  7. बहुत शुन्दर शब्द रचना............
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