ओ मम्मी, ये कैसा युग है

Friday, October 03, 2014

याद नहीं क्या उम्र रही होगी, पर जहाँ तक याद आ रहा शायद पांचवी या छठी में पद्फ्ह्ती रही हूँगी जब ये कविता लिखी थी...| मेरे हिसाब से ये कविता इतने वर्षों बाद भी सामयिक है...| तो पेश है विजयदशमी के अवसर पर मेरी एक बालकविता...उस समय के हिसाब से एक बच्ची की कलम से...|




बालकविता
                        ओ मम्मी, ये कैसा युग है                 
                                                   प्रियंका गुप्ता                                       

      ओ मम्मी, ये कैसा युग है
      कितने रावण जनम रहे हैं
      राम कहाँ हैं बोलो मम्मी
      लव-कुश यूँ जो बिलख रहे हैं
      पिछ्ली बार तो हम ने मम्मी
      खाक किया था रावण को
      फिर किसने है आग लगाई
      घर घर यूँ  जो दहक रहे हैं
      क्यों मम्मी खामोश हो गई
      कण-कण आज पुकार रहे हैं
      हर बच्चे को राम बनाओ
      फिर चाहे कितने ही रावण
      जन्मे इस धरती पर मम्मी
      हम उनका दस शीश कुचलने को
      लो वानर सेना बना रहे हैं...|         

(चित्र गूगल से साभार )                       

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1 comments

  1. बहुत ही सुंदर रचना

    देखा जाये तो रावण भी इतना बुरा नही था, राम भी इतना अच्छा नहीं था जितना दिखाया जाता है.

    रावन ने अपनी बहिन की नाक का बदला लेना चाहा. उसने सीता को उठा लिया लेकिन उसको कभी छुआ नहीं. वो मर्यादा में रहना जनता था.

    लेकिन राम ने अपनी पत्नी पर जरा सा भी विश्वाश नहीं दिखाया.
    सीता ने हजारों बार कहा था कि उसने रावण से कभी समझोता नहीं किया लेकिन फिर भी राम ने सीता की शुद्धिकरण के नाम पर अग्नि परीक्षा ली...
    और राम यहीं नही रुका अयोध्या वाशियों के कहने पर गर्भवती सीता जी को घर से बेघर कर दिया...दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया.

    एक तरफ तो रावण था जो अपनी बहिन के अपमान का बदला लेने के लिए अपनी सोने की लंका दांव पर लगा देता है ...और एक तरफ राम है जो अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में अपनी पत्नी दांव पर लगा देता है.

    मेरा अपना मत है की नारी का घौर अपमान इस राम से ही शुरू हुआ होगा.

    रामायण में रावण ही एक मात्र ऐसा चरित्र है हमेशां हंसता रहता है और जो हर परिस्थिति में खुश रहना सिखाता है वरना इस राम ने गम्भीर होना सिखा ही दिया था. :)

    मेरी बहिन को कोई छेड़े तो मैं भी एक सेकंड भी नहीं लगाऊंगा रावण का रूप धारण करने में लेकिन लोगों के बहकावे में आकर राम कभी नहीं बनूंगा.

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