अधूरी नींद...टूटे ख़्वाब...और कुछ कच्ची-पक्की सी कहानियाँ (भाग- एक)

Tuesday, September 30, 2014


अन्धेरी...बिना चाँद-तारों वाली रात में चलते हुए सहसा उसे ज़ोर की ठोकर लगी...। उस बेनूर रात में भी उसका साया उसके साथ था, वो हाथ न पकड़ लेता तो थोड़ी दूर पर ही मौजूद जाने कितने गहरे अन्धे कुएँ में वो जा गिरती...। वो भीषण दर्द के बावजूद साए की शुक़्रगुज़ार थी...। दर्द की दवा खाकर, मलहम लगा कर किसी तरह उसने घाव पर पट्टी बाँध तो ली, पर फिर भी ज़ख़्म भरते-भरते वक़्त तो लगना ही था न...। वो अपने ज़ख़्म के साथ अकेले में आँसू बहाती अक्सर खुद को कोसती...क्यों आसमान की रौशनी के आसरे बाहर निकली...और निकली भी तो बुद्धि क्यों नहीं लगाई कि कम-से-कम एक दिया ही साथ लेकर चलती...। हल्की रौशनी भी मौजूद होती आँखों के आगे तो यूँ चोट न खाती...।

साया जब भी सामने आता, ज़ख़्म टहो कर पूछता...अब भी दर्द है क्या...? टीस से उभरती चीख गले में ही घोंट वो भरसक सहजता से मुस्करा कर कहती...थोड़ा दर्द अब भी है...तुम न होते तो बहुत गहरी चोट खाती...। शुक्रिया मेरे साए...यूँ ही साथ रहना...। साया भी अपनी पीठ ठोंक लेता...हाँ, मैं न होता तो...? सोचो...तुम कहाँ होती...? पर साया ये भी जोड़ना न भूलता...ठोकर तुमने खाई, तुमसे ज़्यादा तकलीफ़ मुझे हुई...। तुमसे ही मेरा वज़ूद था...। तुम कुएँ में जाती तो मैं भी तो ख़त्म ही हो गया होता...। वो साए की बात से पूरी तौर से सहमत थी...और पछतावे की आग में लगातार जल भी रही थी...।

वक़्त बीतता गया...। ज़ख़्म भर भी गया तो भी निशान बाकी था...। वो हर सम्भव प्रयास करती थी, कोई उपाय तो मिले जिससे वो निशान भी मिट जाए...। पर इससे पहले कि कोई उपाय कारगर होता...हर बार नए सिरे से साया सामने आता, उसका ज़ख़्म टहोकता और टीस उठने पर बेपरवाही से कहता...सिर्फ़ ये देख रहा कि तुमको अपनी लापरवाही से लगी इस चोट की याद है भी कि नहीं...वरना कहीं ऐसा न हो कि मैं साथ न रहूँ तो तुम सीधे जा कर एक नया अन्धा कुआँ तलाश कर उसमें गिर पड़ो...ठोकर खाकर...।

वो साए की बात से पूरी तौर से सहमत है...आज भी पछताती है...पर फिर भी सोचती है, कोई नया ज़ख़्म न मिले इसके लिए पुराने घाव का लागातार रिसते रहना क्या ज़रूरी है...???

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4 comments

  1. hmmm this is gud bt ye actually hai kis k liye.. means ye ek male or female ka distance hai ya kah sakta hu ki feeling hai ya fir kisi ek ka khud ko jyada strong manna hai..ya fir ye do logo k beech me Hum ki jagah MAI hone ki starting hai..

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  2. hmmm this is gud bt ye actually hai kis k liye.. means ye ek male or female ka distance hai ya kah sakta hu ki feeling hai ya fir kisi ek ka khud ko jyada strong manna hai..ya fir ye do logo k beech me Hum ki jagah MAI hone ki starting hai..

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  3. अच्छा लिखती हो आप | बहुत सुंदर

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  4. आपकी लेखनी ने खासा प्रभावित किया है मुझे.
    बहुत ही गहरे भाव लिए लेखनी जिस प्रकार आगे बढती है वो एक छाप छोडती जाती है.

    आप मेरे ब्लॉग पर आमंत्रित  हैं. :)


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