अधूरी नींद...टूटे ख़्वाब...और कुछ कच्ची-पक्की सी कहानियाँ (भाग-३)
Wednesday, June 18, 2014दोनो कार में बैठने जा ही रहे थे कि तभी सीमा की नज़र सामने की पटरी पर बैठे एक लाचार-जर्जर से अपाहिज़ भिखारी पर पड़ी। उसने राहुल को टहोका...उस बेचारे को कुछ दे दो...। अपाहिज़ है...कुछ पुण्य ही मिल जाएगा...।
दोनो ने साथ जाकर उसके कटोरे में जैसे ही कुछ रुपए डाले, भिखारी ने हिक़ारत से वो नोट उनकी ओर वापस लौटा दिए...मैं हमपेशा से भीख नहीं लेता...।
4 comments
DI isko thoda sa or samjha dijiye... means samajh me to aayi bt actually kya kahna hai wo kah nahi pa raha hu..
ReplyDeleteDI isko thoda sa or samjha dijiye... means samajh me to aayi bt actually kya kahna hai wo kah nahi pa raha hu..
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...अंतिम पंक्तियों में सारा सार है |
ReplyDeleteकहीं पढा था
ReplyDeleteअपनी औलाद से ताजीम की उम्मीद ना रख
अपने मां-बाप से गर तूने बगावत की है
प्रणाम