एक कविता-ज़िन्दगी
Saturday, August 20, 2011
नमस्कार,
आज मैं आपके सामने अपनी एक कविता लेकर फिर उपस्थित हुई हूँ...।
यह कविता अभी हाल में ही लखनऊ से निकलने वाले ‘जनसंदेश टाइम्स’ में प्रकाशित हुई है...।
हमेशा की तरह इस पर भी आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तज़ार रहेगा...।
आज मैं आपके सामने अपनी एक कविता लेकर फिर उपस्थित हुई हूँ...।
यह कविता अभी हाल में ही लखनऊ से निकलने वाले ‘जनसंदेश टाइम्स’ में प्रकाशित हुई है...।
हमेशा की तरह इस पर भी आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तज़ार रहेगा...।
एक
कविता-ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
मेरे लिए एक कविता है
जो बहुत थोड़े में
बहुत कुछ समेटे
कभी किसी किताब में
या कभी
डायरी के पन्नों में बंद
किसी कोने में पड़ी रहती है
ज़िन्दगी
मेरे लिए एक कविता है
जिसे
एक कोने में बैठ
चुपचाप
मन-ही-मन गुन लो
या फिर
चाहो तो गुनगुना लो
दुनिया के मंच पर
ज़िन्दगी
मेरे लिए एक कविता है
जो अभी भी अधूरी है
सुनने वाले
पता नहीं
समझते हैं कि नहीं
पर फिर भी
आदतन
तालियाँ बजती हैं
अधूरी कविता चुभती नहीं उन्हें
पर मैं
जुटी हूँ खोज में
अपनी कविता के लिए
एक खूबसूरत अंत की...।
19 comments
बहुत ही सुन्दर और प्यारा लेख है बधाई हो आपको आप भी जरुर आये साथ ही यहाँ शामिल सभी ब्लागर साथियो से आग्रह है की मेरे ब्लाग पर भी जरुर पधारे और वहां से मेरे अन्य ब्लाग पर क्लिक करके वह भी जाकर मेरे मित्रमंडली में शामिल होकर अपनी दोस्तों की कतार में शामिल करें
ReplyDeleteयहाँ से आप मुझ तक पहुँच जायेंगे
यहाँ क्लिक्क करें
MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
Always a fine read..its feels like sumone close I know is just stealing my words and putting them up )
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteप्रियंका जी आपने सही लिखा है कि-
ReplyDeleteज़िन्दगी
मेरे लिए एक कविता है
जिसे
एक कोने में बैठ
चुपचाप
मन-ही-मन गुन लो
या फिर
चाहो तो गुनगुना लो
दुनिया के मंच पर
ज़िन्दगी
मेरे लिए एक कविता है
जो अभी भी अधूरी है
-आपकी यह कविता एक अलग चिन्तन लिये हुए है । बहुत बधाई !
जुटी हूँ खोज में
ReplyDeleteअपनी कविता के लिए
एक खूबसूरत अंत की...।
बहुत खूब...सुन्दर अभिव्यक्ति...
बधाई और शुभकानाएँ|
प्रियंका जी,
ReplyDelete"...... आदतन
तालियाँ बजती हैं
अधूरी कविता चुभती नहीं उन्हें
पर मैं
जुटी हूँ खोज में
अपनी कविता के लिए
एक खूबसूरत अंत की..."
बहुत दिनों बाद आपको पढ़ने का मौका मिला ! आपकी इस कविता की साँसों की अकुलाहट जीवन के अधूरे विन्यास का पूरा लेखा जोखा प्रस्तुत करती है ! ऊपर उद्धृत पंक्तियाँ आपकी कविता को बहुत ऊँचाई तक ले जाती हैं !
आभार !
positive oorja se bharpoor kavita ...kisi ke liye geet hai sangeet hai ..magar kisi ke liye dard bhari taan bhi to hoti hai jindagee ..
ReplyDeleteप्रियंका गुप्ता जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
ज़िन्दगी मेरे लिए एक कविता है जिसे एक कोने में बैठ चुपचाप मन-ही-मन गुन लो या फिर चाहो तो गुनगुना लो दुनिया के मंच पर
बहुत सुंदर कविता है … बधाई !
आपका मेरे यहां आना नहीं हुआ है
मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपके प्रथम आगमन के लिए प्रतीक्षा है ,
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर
मुझपे ही गुर्राए … हद दर्ज़े का ये गद्दार है
मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है
पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)
विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteisase badhiya ant bhalaa kaisa hota...
ReplyDeleteisase badhiya ant bhalaa kaisa hota...
ReplyDeleteइस कविता में आपने जीवन का मर्म डाल दिया है .. बधाई !!
ReplyDeleteआभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
Priyanka jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
प्रियंका जी आपने सही लिखा है
ReplyDeleteबहुत खूब...सुन्दर अभिव्यक्ति...
वाह!!!बहुत ही खूबसूरत!!आपके इस कविता को मैंने पढ़ा ही नहीं था पहले :(
ReplyDeleteआज तो युहीं भटकते हुए आ गया तो पढ़ लिया कविता भी..वरना मैं तो कहने वाला था आपसे की बहुत दिन से आपने कुछ पोस्ट नहीं किया :)
मैं जुटी हूँ खोज में
ReplyDeleteअपनी कविता के लिए
एक खूबसूरत अंत की...।
बहुत दिनों बाद आपको पढ़ने का मौका मिला !
बहुत ही सुन्दर ...
बहुत बधाई !
Of course, what a magnificent website and illuminating posts, I definitely will follow your blog.Have an awesome day!…
ReplyDeleteजगजीत सिंह आधुनिक गजल गायन की अग्रणी है.एक ऐसा बेहतरीन कलाकार जिसने ग़ज़ल गायकी के सारे अंदाज़ बदल दिए ग़ज़ल को जन जन तक पहुचाया, ऐसा महान गायक आज हमारे बिच नहीं रहा,
उनके बारे में और अधिक पढ़ें : जगजीत सिंह
hoom sochne pr majboor karti kavita bhaut sunder bhavon se saji uttam kavita
ReplyDeleterachana
जीवन का अंत तो होता है परंतु कविता अनंत होती है
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई