हाइकू

Thursday, February 24, 2011

 आज पहली बार अपने कुछ हाइकू अपके सामने पेश कर रही हूँ...। हाइकू कविता की  जापानी शैली है , तीन पंक्तियों में अपनी बात कहने की...और ये तीन पंक्तियाँ पाँच-सात-पाँच वर्णों के क्रम में होती हैं...। बताइएगा , आप को ये हाइकू कैसे लगे...।


                                    चक्र 

   १)       वक़्त का चक्र
             चलता रहता है
             रुकना मत |                                

                                  माँ


           
२)      ईश्वर जहाँ
                पहुँच नहीं पाया
               वहाँ भेजी माँ ।


                            मन 

३)          मन के दिए
        भावनाओँ की बाती
        होती दीवाली 

४)      डरता मन
        आने वाले कल से
        जो आज आया ।

५)      चंचल मन
        उड़ता फिरता है
        मानो पतंग ।

६)      मेरा मन तो
        उड़ता पंछी कोई
        ठहरे नहीं |
  
             दिया
   
७)      रौशन करें
       दीवाली वहाँ पर
       जहाँ  दिए।


८)     आँधियों  में भी
       लड़ता मुश्किलों से
       नन्हा -सा दिया ।
-


  

      
         

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15 comments

  1. बहुत सुन्दर हाइकू..

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  2. सभी हाइकु सुंदर ...'माँ' बहुत ही अच्छा लगा ...

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  3. प्रियंका जी ,
    सारे हाइकू बहुत ही भावपूर्ण हैं !
    लेकिन इसका तो ज़वाब नहीं !
    ईश्वर जहाँ
    पहुँच नहीं पाया
    वहाँ भेजी माँ ।
    आभार !

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  4. कुछ दिनों पहले ही मुझे हाइकू का मतलब समझ में आया था...
    वैसे सभी हाईकू बहुत सुन्दर लगे...

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  5. चंचल मन
    उड़ता फिरता है
    मानो पतंग ।

    bahut khub!
    kuchh din pahle hi jana, ki haiku kya hota hai..!!
    achchha laga..padh kar..!
    pahlee baar aaya aapke blog pe..!ssaare posts achchhe lge..:) lastly follow karna para...ab barabar aaunga!

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  6. Didi,
    Aapne jo haiku likhe hain wah bahut hi sundar aur bhav se bhare hain. mai haiku ke bare me pali bar pad raha hoon, aur bahur hi sundar lage.

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  7. किस किस हाइकु की बात करूँ सभी हाइकु एक से बढ्कर एक है ....
    हर हाइकु अपने आप में पूरी कहानी समेटे हुए
    दिवाली वाले और माँ वाले हाइकु का तो जवाब ही नहीं
    बहुत-बहुत बधाई !

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  8. मन के भाव
    खिले-खिले-से शब्द
    अति सुन्दर !!

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  9. प्रियंका जी
    आपके हाइकू मन को स्पर्श करते लगे। बधाई !

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  10. बहुत खूब, बहुत ही अच्छा, प्रियंका ये तीन पन्क्तियो की कविता है पर बहूत कुच्ह केह जाती है.

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  11. ईश्वर जहाँ
    पहुँच नहीं पाया
    वहाँ भेजी माँ ।

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  12. your writings are really nice. keep the show going. let me also share also something

    mat ruk kisi safar pe,
    kahin araam ke aadat ne par jae
    bagal se dunia ka karvaan nikal jae
    or aap wahin khare reh jae

    regards
    Nirmal

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  13. ईश्वर जहां
    पहुँच नहीं पाया
    वहां भेजी माँ |

    सब हाइकु अच्छे हैं लेकिन ये सबसे अच्छा लगा |

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  14. बहुत सुंदर

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