हेल्लो!!!
Tuesday, February 17, 2009Hi, तो आखिर अपनी तबियत सुधार कर मै वापस आ ही गई | सबसे पहले उन सब का धन्यवाद जो मेरा ब्लॉग पढ़ते है और उस पर अपना अच्छा - अच्छा comment देते है|
अब कुछ ताजा बातें हो जाए...वैलेंटाइन डे आया और हर बार की तरह फिर तमाशा...| बस जगह बदल गई...चेहरे बदल गए...और कुछ नही बदला...| मनाने वालो ने पूरे जोश से मनाया और समाज के नए तानाशाहों ने अपना रंग दिखाया | दोनों तरह के लोग खुश थे...दोनों के मन की जो हुई...| खुश मिडिया भी था...नयी -नयी न्यूज़ जो मिल रही थी| पर क्या वाकई इस तरह की घटना उचित है? कहने को हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते है पर क्या इधर कुछ सालो से आपको भी पूरी तौर से इस बात पर यकीन रह गया है? हमारा देश सच में भारत ही है न की गलती से हम तालिबान आ गए?
बात सिर्फ़ वैलेंटाइन डे की नही, बात यह की इस बात को कौन तय करने का हक रखता है की सही क्या है...समाज, क़ानून या फिर कोई भी...??? लडाई जारी रखने के लिए तो इस देश में बहुत कुछ है...| दहेज़-हत्या करने वाले, भ्रूण-ह्त्या करने वाले, किसी लड़की की इज्ज़त से खेलने वाले, शराब पी कर बीवी को पीटने वाले, घूस लेने-देने वाले, (लिस्ट तो बहुत लम्बी हो जाएगी)....इन सब को अगर दौडा-दौडा कर पीते तो क्या ज्यादा अच्छा नही होगा...???? पर नही, हम तो मारते है उनको जिन को मार के न्यूज़ तैयार होती है...लोग हमें पल भर में जान जाते है...| famous होने का सस्ता-सरल उपाय...|
मै मानती हूँ की आज कल इस तथाकथित प्यार की आड़ में कई बार सिर्फ़ टाइमपास होता है जो उचित नही, पर इस टाइमपास लिए क्या हम ख़ुद जिम्मेदार नही? हमने अपने सामाजिक मूल्य ख़ुद खोए है...संस्कारों की खिल्ली हमी ने उडाई है...उसे वापस स्थापित करने की जिम्मेदारी हमारी है पर इस तरह से...???? कोई भी देश या धर्म इस बात की इजाज़त नही देता की कोई भी,जब चाहे,अपने को नैतिकता का रखवाला बना ले| कितना अच्छा होता अगर हम शांतिपूर्वक नैतिकता की शुरुआत अपने ही घर,अपने ही बच्चो से करे, ख़ुद को पहले सुधारे, समाज तो अपने आप ही सुधर जाएगा...| अनाचार का विरोध करे , प्यार का नही...| सबसे प्यार करे, रोज करे, इस एक दिन का इंतज़ार क्यो? राम का सम्मान करे तो कृश्न से प्यार...|
तो आज इतना ही...थोडा कहा है...कुछ अनकहा ही रहने देती हूँ...|
2 comments
hi namaste:),aap thik ho gayi aur swasth hai bahut khushi ki baat hai,khuda aapko hamesha hata khelta rakhe yahi dua hai,vaise valentineday pe jo hua uske baaren min aapne likh hi diya hai,kaaur likhe,basant bahar ka mausam hai,aapko badhai
ReplyDeleteकितना अच्छा होता अगर हम शांतिपूर्वक नैतिकता की शुरुआत अपने ही घर,अपने ही बच्चो से करे, ख़ुद को पहले सुधारे, समाज तो अपने आप ही सुधर जाएगा...
ReplyDeleteशतप्रतिशत सच्ची बात...काश इस सीधी सी बात को हम समझ लें तो हमारा पूरा दृष्टिकोण ही बदल जाए और समाज में क्रांति आजाये...बहुत विचारोतेजक लेख...बधाई.
नीरज