गुल्लक में जमा लम्हें...

Thursday, June 26, 2014

कई साल पहले जब एक रात नन्हें कदमों की आहट अपनी तरफ़ आती महसूस हुई, यूँ लगा जैसे किसी खूबसूरत वादी में चुपके से आकर किसी ने अपनी मीठी...तोतली ज़ुबान से पुकारा हो...माँ...और मैं जैसे खुशी से नाचती फिरी होऊँ...। गज़ब की चिलकती गर्मी के बावजूद कुछ ऐसे ही शीतल अहसास से सराबोर हुई थी मैं...जब २६ जून की रात सवा आठ के लगभग नन्हें चुनमुन ने मेरी बाँहों में अपने वजूद का अहसास कराया था...।

मुझे आज भी अच्छी तरह याद है...कुछ गहरी सी ही थी मेरी अर्ध-बेहोशी जब मैने अधमुंदी आँखों से चुनमुन को पहली बार देखा था...डॉ. बोरबंकर के हाथों में...। एकदम गोरे-चिट्टे से पैदा हुए बच्चे को लिए वो मुस्करा रही थी...बेटा हुआ है...बिल्कुल तुम पर गया है...। मैने मुस्करा कर पूछा...बाहर दिखाया? और फिर जवाब सुने बिना ही गहरी नींद सी बेहोशी में चली गई थी...। बाद में कुछ देर में होश में आने पर पता चला था...राजीव को देने के बाद दूसरी गोद के रूप में चुनमुन स्नेह आँटी के पास गया था...। पहली और अकेली बार नानी बनने के बावजूद माँ ने खुद से पहले वहाँ उत्सुकता से लगातार मेरे साथ मौजूद रही स्नेह आँटी को इस सुख का हक़दार बनाना मुनासिब समझा था...। उनके इस फ़ैसले से मैं आज भी बेहद संतुष्ट हूँ...। गोद में लेने के साथ ही स्नेह आँटी के मुँह से निकला था...कितना प्यारा है...बहुत बदमाश भी लग रहा...। इसका नाम चुनमुन रख दो...और लो जी...अब के कुछ गंभीर हो चुके प्रांजल महाशय ‘चुनमुन’ नाम से नवाज़ दिए गए...। ये तो बाद में समझ आया कि कुछ लोगों पर अपने घरेलू नाम का असर कुछ ज़्यादा ही दिखता है...। चुनमुन ने कालान्तर में इतना चुनमुनपना दिखाया कि मैं अक्सर थक-हार कर स्नेह आँटी से शिकायत करती...आपको कोई शान्त टाइप का नाम नहीं सूझा था क्या...?
                                                (स्नेह आंटी की गोद में दस मिनट का चुनमुन )

(स्कूल में फैंसी ड्रेस कम्पटीशन में दूधवाले के रूप में प्रथम पुरस्कार पाने के बाद कुछ इस अदा से फोटो खिचवाई गई )

                        (मेरी नानी यानी अपनी परनानी की गोद में चुनमुन...अपने मामू-मौसी के साथ...)

करीबन तीन-चार महीने की उम्र तक चुनमुन बड़ा शान्त टाइप का बच्चा लगता था...। माँ अक्सर बड़ी हसरत से कहती...बच्चे थोड़े चंचल अच्छे लगते हैं...। शान्त बच्चों से घर में रौनक नहीं लगती...। भगवान जी से उनका दर्द सहा नहीं गया, सो उन्होंने ऊपर से ही बोल दिया...तथास्तु...। उसके बाद करीबन दस-ग्यारह साल की उम्र तक चुनमुन इतना ज़्यादा शरारती था कि मैं खुद को अक्सर सुपर-पावर से युक्त महसूस करती...। पलक झपकी नहीं कि चुनमुन गायब...। मैं पर्मानेण्ट गेटकीपर का रोल निभाती थी...। भगवान जाने कब गेट खुला रह जाए और चुनमुन नौ-दो-ग्यारह...। मेरे साथ-साथ चुनमुन का भी पसन्दीदा एक्शन हीरो जैकी चैन था...। अब ये बात दूसरी है कि जितनी तल्लीनता से वो उसकी मूवी देखता, उतनी ही  तन्मयता से वो सारे स्टण्ट्स मेरे ऊपर आजमाए जाते...। फिर घायल शेरनी की तरह मैं उसके पीछे भागती और वो नन्हें मृग-छौने सा सोफ़ा, पलंग, कुर्सी...हर जगह से छलांग मारता आगे-आगे मुझे दाँव देता चलता...। इस पकड़ा-पकड़ी के खेल में हम दोनो बारी-बारी से खुश होते...। पकड़ में आ जाता तो मैं खुश...नहीं आता तो वो खुश...। बरसों-बरस मेरे स्लिम-ट्रिम रहने का सारा श्रेय मेरे इस नटखट बन्दर को ही दिया जाता रहा है...।

फोटो खिंचवाने का जितना शौक उसे बचपन में था, उतना ही आज भी है...। हाँ, अब सेल्फ़ी की संख्या अधिक हो गई है...। बचपन में डाँस का बेहद शौक था उसे...। एक्शन फ़िल्मों के अलावा सिर्फ़ यही एक पसन्द हम दोनो की मिलती थी...। मेरे कोरियोग्राफ़ किए गए गानों पर इत्तफ़ाकन उसने दो बार कम्पटीशन में हिस्सा लिया, और दोनो बार प्रथम आया...। पर समय के साथ पढ़ाई आदि का भार ऐसा बढ़ता गया कि लाख प्रोत्साहित करने के बावजूद आज ये शौक़ उससे पूरी तरह से छूट ही चुका है...। बचपन में हर चीज़ में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेने और जीतने के बावजूद जैसे-जैसे वो बड़ा होता जा रहा, इन सब के प्रति उसका रुझान कुछ कम ही हो गया है...। हाँ, आजकल गिटार में उसकी लगन दिखाई पडती है और अच्छा लगता है जब वो कोई नया गाना बजा कर सुनाता है...।

वक़्त आगे बढ़ता जा रहा है, आज वो एक साल और बड़ा हो गया...पर मेरे लिए तो उसके जीवन का हर पल अब भी बिल्कुल वैसा ही है, जैसे कल की बात हो...। उतना ही साफ़ टंकित है मेरी स्मृतियों में...। मेरी गुल्लक में जमा होता जा रहा है उसके साथ बिताया हर इक पल...। आज जब कभी उसकी स्कूटी की पिछली सीट पर या कार में उसके बगल में बैठती हूँ...या किसी नए रास्ते से गुज़रते हुए उससे कन्फ़र्म करती हूँ कि ये रास्ता क्या अपने गंतव्य तक के लिए सही है...तो एक अनोखा-सा अहसास होता है...। कल तक मैं उसे हाथ पकड़ कर ज़िन्दगी के रास्ते पहचनवाती थी, आज उसके भरोसे अपने रास्तों पर निकलने लगी हूँ...। बच्चा जैसे सचमुच बड़ा हो गया है...।

बस एक यही दुआ निकलती है कि ज़िन्दगी के किसी रास्ते पर उसका कोई भटकाव न हो...अपनी मंज़िल के रास्ते वो कभी भूले नहीं और एक दिन उसे देख कर मैं गर्व से कह सकूँ...हाँ रे...तू तो सच में कित्ता बड़ा हो गया है...।

न-न, रहने दो, मत मिटाओ इन्हें
इन लकीरों को यूँ ही रहने दो
नन्हें-नन्हें गुलाबी हाथों से
मेरे मासूम नन्हें बच्चे ने
टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें खींची हैं

क्या हुआ ‘शक्ल’ बन सकी न अगर

मेरे बच्चे के हाथ हैं इनमें
मेरी पहचान है लकीरों में...
-गुलज़ार

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7 comments

  1. A very happy birthday to chunmun !!!!

    ये सही किया है तुमने..इससे अच्छा कोई तोहफा हो सकता था क्या चुनमुन के लिए आज के दिन? :)

    इतनी प्यारी सी यादे हैं, इतना प्यारा ये पोस्ट है...यहाँ आज बारिश भी हो रही है और उसपर ऐसी प्यारी बातें यादें सुबह पढ़ने को मिल जाए..दिन बन जाता है न :)

    चुनमुन के किस्से तो बहुत सुने हैं आंटी से और तुमसे भी.....लगभग सारी बातें जो तुम बताती थी वो याद आते गयीं इस पोस्ट को पढने के बाद....ये तो लिख दिया की उसे बचपन में फोटो खिंचवाने का शौक था, ये नहीं लिखा कि उसे अब फोटो खींचने का शौक है, और वो भी इतनी अच्छी तस्वीरें खींचता है वो !

    वैसे तुम गाने भी कोरियोग्राफ़ करती थी. ये नयी जानकारी मिली! :)


    और बाकी क्या कहें, तुम्हारी दुआ कबूल हो...बस :)

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  2. प्रियंका आप चाहे कविता लिखो चाहे कहानी या चुनमुन के संस्मरण , पूरी तरह रचना में डूब जाती हो । यह आपका गद्य भी मर्मस्पर्शी काव्य बन गया है । इस पावन पर्व पर आप दोनों को हमारी शुभकामनाएँ । प्रांजल को ढेर सारा प्यार भी दीजिए ।

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  3. चुनमुन को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    और रोचक यादें शेयर करने के लिये आभार
    इस पोस्ट के माध्यम चुनमुन से मिलना अच्छा लगा, आज का भी एक फोटो दिखाते चुनमुन का

    प्रणाम

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  4. हार्दिक शुभकामनाएँ चुनमुन को

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  5. चुनमुन की मीठी - मीठी शरारतों से तुम्हारी यादों की गुल्लक हर पल भरी रहे :)
    तुमको दुनिया की सबसे बड़ी दौलत ,माँ का प्यारा सा रूप पाने की बधाई और चुनमुन को बहुत ढेर सारा दुलार और मंगलकामनाएं <3

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  6. हैप्पी बर्थड़े ... चुनमुन बाबू ... :)

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  7. आ हा ..प्यारे चुनमुन को बहुत.....बहुत सारा प्यार , शुभकामनाएं चुनमुन की प्यारी माँ को भी ..

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